जयशंकर प्रसाद साहित्य जगत के बुद्ध थे

कुछ एक शहरों के लिए कहा जा सकता है कि वे एक जगह थमे हैं तो उतने प्रवाहमान भी हैं. बनारस इन्हीं में से एक है. अपनी सांस्कृतिक पहचान, जिसमें उसका भदेसपन शामिल है, के साथ यह आज भी थमा सा लगता है. लेकिन इन तत्वों को जीवंत बनाते हुए वह प्रवाहमान भी है. थमे होने के बीच का यह प्रवाह ही सुरताल और कविता का रास्ता बनाता है. हो सकता है जयशंकर प्रसाद की अदृश्य प्रेरणा यही हो, न हो तो भी पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि बनारस में जन्मे और पूरा जीवन यहीं बिता देने वाले प्रसाद आत्मा से कवि थे.



जयशंकर प्रसाद भारतेंदु हरिश्चंद्र के अलावा बनारस में पैदा हुए दूसरे ऐसे साहित्यकार हैं जो पूरे हिंदी भाषी भारत में सबसे जानामाना नाम हैं. भारतेंदु की तरह उन्होंने भी साहित्य की विभिन्न विधाओं को एक साथ साधा और नए आयाम दिए. उनका रचना क्षेत्र नाटक, कहानी और कविता लेखन रहा बस अंतर यह है कि भारतेंदु की तरह पत्रकारिता या पत्रकारिक लेखन उन्होंने नहीं किया.